tag:blogger.com,1999:blog-149954051684787854.post6255983501813701254..comments2023-10-28T00:42:36.237-07:00Comments on सञ्जीवनी: गोपी -उद्धो संवादसीमा सचदेवhttp://www.blogger.com/profile/04082447894548336370noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-149954051684787854.post-35821294997394241062010-04-21T17:09:34.469-07:002010-04-21T17:09:34.469-07:00रोचक , प्रशंसनीय ।रोचक , प्रशंसनीय ।अरुणेश मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/14110290381536011014noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-149954051684787854.post-55465541899871045292010-04-06T02:32:44.517-07:002010-04-06T02:32:44.517-07:00आश्चर्य! इतनी प्यारी रचायें
क्या और कैसे बतलाये ?...आश्चर्य! इतनी प्यारी रचायें <br />क्या और कैसे बतलाये ?<br />मन मोहन मन में समाने लगे <br />कभी गोपी,कभी राधे खुद में पाने लगे <br />कालिंदी,वट वृक्ष की छैयां में <br />मैं मिलती थी अपने कन्हैया से <br />झगडी जब उद्धो आये समझाने थे <br />गुस्से में दिए खूब मैंने उन्हें जी भर कर ताने थे <br /> रीबावरी कैसे भूल गई उनको <br />धन्य भाग मेरे जो मिली तुमसे <br />तुमने भूली बाते जो दोहराई<br />जैसे भटक रही थी लौट आई <br />बहे अविरल आंसू मेरी आँखों से<br /> जो विश्वास न हो पूछो मेरे कान्हा से <br />सखे !क्या तुम ही तब उद्धो थे <br />मैं ही थी क्या राधेरानी?<br />ए जोग गुरु! मुझे छमा करो<br />उस जन्म मे भी अज्ञानी थी <br />इस जन्म मे भी रही मैं अज्ञानी <br />बस प्रीत के गीत सिखा गाना<br />इस जग ने न पहले माना <br /> इस जग ने न अब माना.<br />भली करे मेरे कान्हा तुम्हारी सगली <br />पर मैं न तब बदली,न अब बदलीAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-149954051684787854.post-24778906921948686032010-04-01T04:26:58.171-07:002010-04-01T04:26:58.171-07:00अति सुन्दर.अति सुन्दर. shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-149954051684787854.post-24400903404042672992010-03-30T07:13:59.336-07:002010-03-30T07:13:59.336-07:00waah......lazawaab......sundar....waah......lazawaab......sundar....राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ )https://www.blogger.com/profile/07142399482899589367noreply@blogger.com