भूमिका

दो-शब्द:-भाषा भावों की वाहिका होती है। अपनी काव्य पुस्तक "सञ्जीवनी" में भाषा के माध्यम से एक लघु प्रयास किया है उन भावों को व्यक्त करने का जो कभी हमें खुशी प्रदान करते हैं, तो कभी ग़म। कभी हमें सोचने पर मजबूर कर देते हैं और हम अपने आप को असहाय सा महसूस करते हैं। सञ्जीवनी तीन काव्य-खण्डों का समूह है - 1.ब्रजबाला , 2.कृष्ण-सुदामा ,3.कृष्ण- गोपी प्रेम प्रथम खण्ड-काव्य "ब्रजबाला" मे श्री-राधा-कृष्ण के अमर प्रेम और श्री राधा जी की पीडा को व्यक्त करने का, दूसरे खण्ड-काव्य "कृष्ण-सुदामा" मे श्री-कृष्ण और सुदामा की मैत्री मे सुखद मिलन तथा तीसरे खण्ड-काव्य "कृष्ण - गोपी प्रेम" में श्री कृष्ण और गोपियों के प्रेम के को समझने का अति-लघु प्रयास किया है। साहित्य-कुंज मे यह ई-पुस्तक प्रकाशित है आशा करती हूँ पाठकों को मेरा यह लघु प्रयास अवश्य पसंद आएगा। — सीमा सचदेव

सोमवार, 27 अप्रैल 2020

द्रोण का पश्चाताप