ब्रजबाला- 1.प्रार्थना

ब्रजबाला
ब्रजबाला मे श्री राधा-कृष्ण के अमर प्रेम को व्यक्त करने का एक अति लघु प्रयास है। जब श्री राधा जी को पता चलता है कि श्री कृष्ण ब्रज छोड़ कर मथुरा जाने वाले है तो तो वह व्याकुल हो उठती है। इसी का वर्णन इस कविता के माध्यम से किया गया है। यह पाँच भागों में विभक्त है :
1. प्रार्थना
2. व्याकुल मन
3. शक्ति स्वरूपिणी राधा
4. देव स्तुति
5. राधा-कृष्ण संवाद

प्रार्थना

स्वामिनी मेरी श्री राधिका
मैं ब्रजरानी की दास

पावन चरणन में प्रीति रख
लेकर के अटल विश्वास
श्री बिहारी जी की प्रेरणा
और प्रिया दर्शन की आस

करती हूँ कर जोरि के
तुम्हें बार-बार प्रणाम
मेरे हृदय को तृप्त करो
पावन है तुम्हारो नाम

भव सागर से तर जाऊँ मैं
गाऊँ मैं आठों याम
तेरा नाम सुमिर श्री राधिका
पाऊँ श्री कृष्ण पद धाम

यही आशा इस मन की है
गुण-गान तेरा गाते-गाते
जीवन को सफल बनाऊँ मैं
इस दुनिया से जाते-जाते

मैं नहीं काबिल लेकिन फिर भी
चाहती हूँ कुछ तो काम करूँ
है सोच-सोच कर देख लिया
क्यों न मैं तेरा ध्यान धरूँ

हैं शब्द नहीं लेकिन फिर भी
मैं तेरा ही गुण-गान करूँ
जो थाह मिले तेरे चरणन की
फिर क्यों मैं चारों धाम करूँ

माँ मुझे इतनी सद्‌बुद्धि दे
तेरे नाम का मैं गुण-गान करूँ
ये भाव हृदय के बहा करके
इस जीवन का कल्याण करूँ


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